27 jan fariyad NG-307 27-8-2023 pdf
ये हैं शहीद गंगू मेहतर बाल्मीकि।
नाना साहब पेशवा के सैनिक दस्ते में गंगू मेहतर का नाम भी बेहतरीन लड़ाकों में से एक माना जाता था।
उन्हें शुरुआत में नगाड़ा बजाने के लिए शामिल किया गया था।
लेकिन उनके बहादुरी और पहलवानी को देखते हुए सूबेदार का पद मिल गया।
वो सैनिकों को पहलवानी के गुर भी सिखाते थे जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई लड़ी और 200 के लगभग अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया था ।
उन्हें 18- 9 -1857 को कानपुर में चौराहे पर फाँसी दी गई थी इन वीर क्रांतिकारी योद्धा को शत शत नमन ।
बताते हैं इनका नाम इतिहास में गुमनाम है और नाही कोई ऊनकी याद मे प्रतिमा।
क्युकि आजादी तो चरखे से आई है और महान तो अकबर है।
आइए इन महान राष्ट्रभक्त के नाम पर “भारत माता की जय” बोलते हैं।