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सनातन धर्म रक्षक राष्ट्रीय, आंतर राष्ट्रीय समिति का पहिला विधर्मी संप्रदाय को सबक सिखाने और देश विदेश की जनता को अगवा करने के लिए नवरात्रि आंठम के दिन सोसियल मीडिया और हमारी www.janfariyadnews.com वेब साइट के ऊपर शांत प्रिय (दशहरा) प्रोग्राम की विज्ञापन की जाएगी जो सनातन धर्म संस्कृति को बचाने अति आवश्यक पहिला कदम होगा जो सर्व सनातनी हिंदुओ को लागू पड़ेगा, यह कार्यक्रम राजनीतिक,सामाजिक सर्व हिंदू सनातनी जातियों के लोगो के लिए हे। सभी इस कार्यक्रम का हिस्सा अपने आप बन सकते हे। आप हमे अपने सुझाव भी नीचे लिखे ईमेल और हमारे व्हाट्स अप नंबर पर भेज सकते हे।(अधिकृत : प्रदीप रावल(सनातन धर्म रक्षक राष्ट्रीय, आंतर राष्ट्रीय समिति.गांधीनगर,(9824653073)गुजरात, भारत
*આખો દેશ વશીકરણ થઈ ગયો હોય તેવી હાલત છે પણ યાદ રાખજો અંત નજીક છે એ પછી આ અંધભકતો ગોત્યા નહિ મળે દેશમાં ફરી ક્રાંતિ જેવું વાતાવરણ ઉભુ થશે કોઈ સાત્વિક વ્યક્તિ ઉભરી આવી શાસન ધુરા સાંભળશે*
अब ये विधर्मी संप्रदायो की कोई चाल सनातनी धर्म की जनता की सामने नहीं चल सकती,हम देश की सरकारों और राजनैतिक पार्टियों को भी अगवा कर रहे हे क्योंकि विश्व की सबसे बड़ी सनातन धर्म संस्कृति हे जो पूरे विश्व के सभी देशों के लोग मान रहे हे तभी तो कही देशों में सनातन मंदिर और हिंदू देवी देवताओं के भव्य मंदिर निर्माण हुवे हे और कोई भी कॉरपोरेट तरीके से सनातन मंदिर कोई आमदनी नही करता और स्वच्छ ट्रस्टी गण से आज भी चल रहा हे,
जो विधर्मी स्वामीनारायण जैसे संप्रदाय ने सनातन धर्म के लोगो को भारी मात्रामे सनातनी धर्म संस्कृति और शास्त्रों में छेड़छाड़ करके भावनाओ को ठेस, नुकसान पहुंचाया हे उनको अब सनातनी धर्म प्रेमी जनता नही छोड़ेंगी और सही शांत प्रिय कदम उड़कर अपने सनातन धर्म के न्याय के लिए जो भी कुछ करना पड़ेगा वो करेगी,जितना भी जूठा नकली शास्त्र स्वामी नारायण संप्रदाय ने छप करके देश विदेशो में बाटकर नही पेढ़ी को गुमराह किया ही वो कभी बर्दास्त नही होगा,इनके खिलाफ हर कोई उनके मंदर,संग्रहालय से बाहर निकलकर जलाया जाएगा, और जितने भी हिंदू देवी देवताओं की मूर्ति को अपने मंदिरों में स्थापित करके अपने गुरु से नीचा दिखाने की कोशिश किया ही उसका भी सनातन धर्मी फेसला करके मंदिरों ऐसे देवी देवताओं की मूर्ति, भीत चित्रों हटाया जायेगा जिनके लिए सनातन सेना काम करेगी,यह संस्था में कोई भी राजनीतिक और शासक सरकार के किसी भी पद के ऊपर रहे लोगो को कोई जिम्मेवारी नही दी जाएगी। अब हिंदू अपनी मिट्टी छोड़कर भागेगा नही लेकिन अपराधियो को भगाकर वही रहेगा।सनातन हिंदू साधु संतो और कही लोगो ने बलिदान दिया हे अब वो फोगट में नही जाने देंगे,हमे अपना हक चाइए कोई भीख नहीं मांगते।
हिंदू इसी लिए सब देश छोड़ रहे हे क्योंकि हिंदुस्तान में 75% से भी ज्यादा हिंदू हे ,स्पष्ट बहुमत होने पर भी गौ माता को राष्ट्रीय जाहिर नही किया जा सकता और भारत को हिंदू राष्ट्र जाहिर नही किया जाता क्योंकि देश की कोई भी पार्टी सनातन धर्म को अपने मेनिफेस्टो में पूर्ण रूप से लिया नही हे। राजनीतिक पार्टियों की सत्ता पर आने के लिए सबसे ज्यादा वोट बैंक obc,SC,ST or माइनोरिटी 70% से ज्यादा हे। और सनातन धर्म हिंदू धर्म संस्कृति की सामने हमेशा सत्ता धारी पार्टी रही हे। आजकल हिंदुत्व के नाम पर कही वादे करके आई हुई भाजपा भी आज वोट बैंक की खातिर सनातन धर्म के खिलाफ विधर्मी संप्रदाय को अपने वोट की खातिर सपोर्ट कर रही हे।सिर्फ राजकीय सत्ता हासिल करनेके लिए सनातन धर्म प्रेमियों की भावनाओ को ठेस पहुंचाई हे।
♦इसीलिए आजकल सनातन धर्म की विरोध में कही संप्रदाय मैदान में आ चुके हे जिनको सत्ताधारी पक्ष खुद वोट बैंक की भीख की खातिर बढ़ावा दे रहे हे और सभी तरह की अनामत प्रथा इन लोगो के लिए आज भी सरकारों में चालू हे।उनका जीता जागता सबूत एक उदाहरण।के तौर पर दिया जा सकता हे। जो सिर्फ दोसो साल पहिले पेंदा किया गया ” स्वामीनारायण संप्रदाय ” जिनका अंग्रेज के शासन में सिर्फ चार मंदर अंग्रेज सरकारों ने सनातन धर्म के हिंदुओ की दलाली करनेकी वजह से सरकारी जमीन दी गई थी,जहा आज भी इनका स्वामीनारायण मंदर के मुख्य कार्यालय के रुप मे मौजूद हे। देश की जनता आजादी के लिए लड़ रही थी तभी 1940 में यही दलाल स्वामीनारायण संप्रदाय ने कोर्ट में कोई जाति समुहदाय के केस में लिखकर दिया था की हमारा संप्रदाय हिंदू नही हे,और हम हिंदू नही कहलाते,कोर्ट ने उसका 1948 में जजमेंट भी दिया था इसीलिए अंग्रेज इन संप्रदाय की साथ था और आज भी ही इसीलिए यह संप्रदाय का आज युके में 70 से भी ज्यादा मंदर स्थापित किए गए हे,और कुल मिलाके विश्व में आज 2000 से भी ज्यादा मंदर इनके बन चुके हे जहा पर सभी प्रकार का कारोबार,कॉरपोरेट सेक्टर आजभि चलता हे और विदेशो की सरकार में आज भी भारत की सरकार और इनके लोगो की दलाली विदेश की सरकारों में करके आज भी यह संप्रदाय वो अंग्रेज वालो शासन में जो था और जो कर रहा ही वो आज भी कर रहा हे और भारत के सत्ताधीशों को मजबूर बना बैठा हे, भारत के राजकीय सत्ताधीश आज भी विदेशो में यही संप्रदाय के कंधो पर आज भी सब कुछ सियासत चलाता है,और सनातन धर्म को सबसे बड़ा नुकसान देश के सत्ताधीशों के कंधो पर यह स्वामीनारायण संप्रदाय करता है,,,अब तो यही संप्रदाय ने सरकार को मजबूर कर दिया की हम हिंदुत्व का प्रचार करनें में सबसे आगे हे और हमारे संप्रदाय से ही भारत देश की हिंदू संस्कृति देश विदेशो में फैली हुई है,जिंक3 जरिए यही संप्रदाय 1940 में जो कोर्ट में एफिडेविट करके बोला था की हम हिंदू नही हे,,,वो भूल गए और आज इनके संप्रदाय में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापन करके सभी हिंदुओ के सनातन धर्म में से स्वामीनारायण धर्म परिवर्तन करवा रहे हे और ज्यादा तरीकेसे पाटीदार, कणबी समाज इन संप्रदाय की विदेशी लालच में आकर इनके गुलाम बन चुके हे और इनके संप्रदाय के जरिए सभी विदेश में व्यापार कर रहे हे जिनका हेड क्वार्टर यही संप्रदाय के मंदर है और आज करोड़ों अबजो की प्रॉपर्टी यही संप्रदाय बना चुका हे। और अब तो इन्होंने पिछले कही सालो से सनातन धर्म के चार वेद,पुराण,धर्म संस्कृति और देवी देवताओं की संस्कृति की साथ खिलवाड़ करके अपने नए शास्त्र बना लिए हे जो इनके स्वामी नारायण का मुख्य ग्रंथ शिक्षापत्री के खिलाफ हे जो अंग्रेज कोहिनूर की साथ लंदन ले गए थे जो आज भी वो शिक्षापत्री लंदन म्यूजियम में मौजूद है।,,,अब तो इन्होंने मानव श्रुष्टि को उत्पन्न करने वाले देवाधी देव महादेव और पार्वतीजी और कृष्ण।राधा,लक्ष्मीजी,गणेशजी,हनुमानजी की साथ उनके स्वामीनारायण थे ऐसे जूठे शास्त्र बनाकर नई पेढ़ी के युवानो को गुमराह करना देश विदेशो में शुरू कर दिया हे।।। भारत देश के सनातन धर्म के सभी साधु,संत,महा मंडलेश्वर,शंकराचार्य और कही अखाड़े के सनातनी साधु,संत जानते हुवे पर हिंदुत्व के नाम पर आई सरकारी दबाव के कारण कुछ भी बोल नही सकते और ना तो कोई आंदोलन चला सकते हे क्योंकि सनातनी संस्था और शासक पक्षके कही नेताओ विधर्मी परिवारों को दामाद और अपना वेवाई बना चुके हे।और आज ऐसी नोबत आई है की विधर्मी लोगो की वोट बैंक से ही शासक पक्ष फिर से सत्ता में आ सकता हे,इस हाल में शाशक पक्ष कोई खतरा लेना नही चाटा इसीलिए ऐसे विधर्मी संप्रदाय के सभी काले करतूत जानते हुवे पर भी उनको बढ़ावा दे रहे हे और सनातन धर्म की जनता आज भी सबकुछ सहन कर रही हे।
शासक सरकार ने इन्ही संप्रदाय के बन बैठे साधु संतो को सनातन धर्म की कमिटी में शामिल कर दिया हे और कही जगत इन्ही संप्रदाय के संतो को प्रमुख जिम्मेवारी भी दे रखी हे जिनसे सभी सनातनी साधु समाज नाराज हे,,,,यही संप्रदाय के कही तीन पेढ़ी में हुवे साधु हिंदू देवी देवताओं को अपने स्वामीनारायण साधु को भगवान,सर्वोपरि कहलाने नीचा दिखाते हे ऐसे कही शास्त्र पकड़े गए हे,देश के कही भागवत,रामायण,महाभारत के कथाकारों भी आज यही संप्रदाय के खिलाफ हे लेकिन सरकार यह नकली संप्रदाय की साथ कंधा कंधा मिलाके खड़ी हे।
यह तो सिर्फ एक ही संप्रदाय की बात यह बताई हे लेकिन लघुमति और अन्य विधर्मी समाज को भी आजकल सरकार सभी सहयोग देती है और इनके कोई भी धर्म स्थानों पर सरकारी कब्जा आज भी नही हे और सनातनी धर्म के देवी देवताओं के धर्म स्थानों में सरकार कब्जा करके बैठी हे,,,
अब सनातनी हिंदू को जागना पड़ेगा,,पूर्व की सरकार ने भी विधर्मी को साथ देकर देशबके टुकड़े करके तीन देश अलग करके दिया और आज भी छोटी मोटी सहाय उन देशों को भारत कर रहा हे।
सनातन धर्म की जनता हमेशा शांत प्रिय जनता हे जिनका गैर फायदा विधर्मी स्माप्रदाय के लोग उठा रहे हे।,,,इतिहास मौजूद हे की सिर्फ सियासत टिकाए रखने के लिए हिंदू सभी जगह को छोड़कर चला गया है जहा पर आज विधर्मी लोगो का राज हे।
लेकिन कैलासपति देवाधि देव भी ऊपर बैठे ऐसे सनातनी को बचा रहा हे की विधर्मी देश में जितनी वारदात होती रहती हे और कुदरत भी इतनी रूठी हुई ही की कोई विधर्मी के देशबका शासन आज भी सही तरीके से नही चल रहा,कितनी कुर्बानी उन देश की जनता को देनी पड़ती है जो आज हम इजराइल,हमास,गाजी पट्टी,सीरिया,ईरान,इराक और कही देश के युद्ध देख रहे हे।।
अब सनातनी को जागना होगा। कही सबूत,इतिहास आज भी मौजूद हे जो वक्त आने पर स्बकुछ कानूनी तौर पर बाहर लाया जाएगा।
अभी यह देश,विदेश लेवल की संस्था का गठन पूरे भारत के प्रमुख शहर,तहसील और विदेश के मुख्य पांच कंट्री में किया जा रहा हे ,जिनको भी सनातन धर्म संस्कृति बचाने में देश भक्त के नाते दिलचस्पी हो वो हमें अपना नाम और कबूलात नाम संस्था के नाम हमे ईमेल पर भेज सकते हे।(आप आपके सुझाव हमे भेज सकते हे,सभी पत्रव्यवहार की गुप्तता बनी रहेगी,
*सनातन धर्म रक्षक राष्ट्रीय,आंतर राष्ट्रीय समिति,,,
अधिकृत प्रदीप ए.रावल,(संपादक)
गांधीनगर,गुजरात.भारत*
Email: prdpraval42@gmail.com
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Mobaile: 0091 9824653073
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*“સનાતન ધર્મ” એટલે શું ? {બિલાડીની ટોપ ની જેમ ફૂટી નીકળેલા સંપ્રદાયો} ને લઈ સનાતન ધર્મના લોકો એ જાગૃત થવાની જરૂર છે*
સારંગપુરના હનુમાનજી મંદિરે મુકાયેલાં કેટલાંક ભીંતચિત્રોને લઈને જાગેલા વિવાદને કારણે તથા દક્ષિણ ભારતના એક રાજનીતિક પક્ષના એક યુવાનેતાએ કરેલા બફાટને કારણે આજકાલ સનાતન અથવા સનાતન ધર્મ ખૂબ જ ચર્ચામાં છે. આથી આ સનાતન ધર્મ એટલે શું, એ જાણવાની અહીં નમ્ર કોશિશ કરવામાં આવે છે.
જે સદા એક જેવું જ રહે છે અને પરિવર્તિત થતું નથી, તેને સનાતન કહેવામાં આવે છે. એટલા માટે ઈશ્વરને પણ સનાતન કહેવામાં આવે છે; કારણ કે તે પણ એક અપરિવર્તનશીલ, કૂટસ્થ, અપરિણામી, નિત્ય, અવિનાશી, અનાદિ, અનુત્પન્ન, અનંત સત્તા હોવાથી સનાતન છે.
ઈશ્વરની માફક ઈશ્વરીય જ્ઞાન પણ સનાતન છે. ભારતીય પરંપરામાં ઋગ્વેદ વગેરે ચાર વેદોને ઈશ્વરીય જ્ઞાનના ગ્રંથો માનવામાં આવ્યા છે. સંપૂર્ણ વૈદિક સાહિત્ય વેદોને સ્વત: પ્રમાણ – સર્વોચ્ચ, નિર્ભ્રાન્ત શબ્દ-પ્રમાણ માનીને ચાલે છે. વેદોક્ત સર્વ વાતો પ્રામાણિક હોવાથી સત્ય-અસત્યની કસોટીમાં વેદોને અંતિમ શબ્દ-પ્રમાણ માનવામાં આવે છે.
સનાતન શબ્દનો પ્રયોગ સૌ પ્રથમ સર્વાધિક પુરાતન એવા વેદોમાં જ થયો છે. અથર્વવેદના દસમા કાંડના આઠમા સૂક્તના ત્રેવીસમા મંત્રમાં સનાતન શબ્દ જોવા મળે છે. આ મંત્રમાં સનાતન કોને કહેવાય એ પણ બતાવવામાં આવ્યું છે. મંત્ર આ મુજબ છે :
*सनातनमेनमाहुरुताद्य स्यात्पुनर्णवः।*
*अहोरात्रे प्र जायेते अन्यो अन्यस्य रूपयोः ॥*
*પદાર્થ :* (एनम्) તેને (सनातनम्) સદાય રહેનારો, કદી નષ્ટ ન થનારો, અનાદિ, નિત્ય (आहु:) કહેવામાં આવે છે. (उत) જે (अद्य) આજે પણ, પ્રતિદિન (पुन: नव:) ફરી નૂતન જેવો (स्यात्) થઈ જાય છે. (अहोरात्रे) રાત-દિવસ બંને (प्रजायेते) ઉત્પન્ન થતાં રહે છે (अन्य: अन्यस्य रूपयो:) એક-બીજાના રૂપમાં.
આ મંત્રના તાત્પર્યને સમજવાની ચાવી ‘સનાતનમ્’ની એટલે કે અનાદિત્વની પરિભાષા ‘પુનઃ નવઃ’ – પુનઃ નૂતન થવામાં રહેલી છે. જે નિત્ય-નવીન (ever new or ever fresh) નથી લાગતું, એ સનાતન ન હોઈ શકે; એ સમય જતાં જીર્ણ થઈ જતું હોય છે, જૂનું થઈ જતું હોય છે, અને અપ્રાસંગિક પણ બની જતું હોય છે. જ્યારે સનાતન તો તેને જ કહેવાય છે કે જે હંમેશાં નવું પ્રતીત થાય, તેની નવીનતા કે તાજગી ક્યારેય ક્ષીણ ન થાય; જે ક્યારેય જૂનું, પુરાણું કે અપ્રસ્તુત ન થઈ જાય, પરંતુ સદા નવીન અને પ્રસ્તુત બની રહે. નવું અને પુરાણું – આ બંને સાપેક્ષિક શબ્દો છે. જે પુરાણું છે તે જ જો બીજી ક્ષણે એવું ને એવું જ પ્રતીત થાય તો તેને પણ નવીન કહી શકાય છે. દાખલા તરીકે, રાત-દિવસનું ચક્ર સદા નવીન રહે છે. આપણે દરરોજ જોઈએ છીએ કે દિવસ પછી રાત અને રાત પછી દિવસ આવ્યાં જ કરે છે. એક અર્થમાં જોઈએ તો આ દિવસ-રાત નવાં પણ છે. કાલે શનિવાર હતો, આજે રવિવાર છે, અને કાલે સોમવાર થશે. પરંતુ છતાંય એક દિવસ બીજા દિવસ જેવો જ હોય છે, તેના સ્વરૂપમાં કોઈ ફરક હોતો નથી. આથી જ સનાતનને સમજવા માટે આ મંત્રમાં દિવસ-રાતનું દૃષ્ટાંત આપવામાં આવ્યું છે.
જે નિયમ હંમેશાં એક જેવો જ રહે છે, તેને પણ સનાતન કહેવામાં આવે છે. જેમ કે, “બે વત્તા ત્રણ પાંચ થાય છે” – આ નિયમ સનાતન છે; કારણ કે આ નિયમ કોઈ પણ યુગમાં કે કોઈ પણ દેશમાં ક્યારેય બદલતો નથી. આવી જ રીતે ત્રિકોણની બે બાજુઓનો સરવાળો તેની ત્રીજી બાજુ કરતાં હંમેશાં વધારે જ હોય છે. એક ત્રિકોણના ત્રણેય ખૂણાનો સરવાળો 180 ડિગ્રી અથવા બે કાટખૂણા જેટલો થાય છે. આ બધા નિયમો સનાતન છે.
આથી એમ કહી શકાય કે ધર્મ કે નિયમ બે પ્રકારના છે : એક સનાતન અને બીજો સામયિક. સનાતન ધર્મ કે નિયમ ક્યારેય બદલતા નથી, જ્યારે સામયિક ધર્મ કે નિયમ સમય સાથે બદલતા રહે છે. જેમ કે, શિયાળામાં ગરમ કપડાં પહેરવાં જોઈએ, પણ ઉનાળામાં એ ન ચાલે. માંદા પડીએ તો દવા ખાવી જોઈએ, પરંતુ સ્વસ્થ હોઈએ ત્યારે આ નિયમ ન ચાલે. પરંતુ ભોજન કરવું એ સનાતન ધર્મ છે; કારણ કે કોઈ પણ યુગમાં ભોજન કર્યા વગર શરીરનું રક્ષણ થઈ શકતું નથી. પરંતુ દવા ખાવી એ સનાતન ધર્મ નથી; કારણ કે એ તો જ્યારે આપણે બીમાર પડીએ ત્યારે જ કામમાં આવે છે. આમ ધર્મના બે રૂપ છે : એક તો મૂળ તત્ત્વ કે જે હંમેશાં એક જેવું જ રહે છે; અને બીજું છે રીતિરિવાજો, કર્મકાંડો, પ્રથાઓ, વગેરે, જે દેશ, કાળ અનુસાર બદલતા રહે છે. જેમ કે, કોઈ સમયે કેવાં કપડાં પહેરવાં એ ઋતુ, પ્રસંગ કે રિવાજને અનુકૂળ હોય છે, એ ધર્મનું મુખ્ય અંગ નથી. પરંતુ ઘણીવાર આપણે લોકો મૂળ મૌલિક ધર્મ, અને સામયિક ધર્મને ભેગા કરીને ગરબડ ઊભી કરી દઈએ છીએ, જેના કારણે અનેક ભ્રમ ઉત્પન્ન થાય છે. આજકાલ જેને સામાન્ય રીતે સનાતન ધર્મ કહેવામાં આવે છે, તેમાં અનેક પ્રકારના ક્રિયાકલાપો, પ્રથાઓ, આસ્થાઓ, કલ્પનાઓ, રીતિરિવાજો પાછળથી ભેળવી દેવામાં આવ્યાં છે. આથી જેમ સ્વચ્છ પાણી દૂર સુધી વહેતું વહેતું મલીન થઈ જાય છે, એવું જ સનાતન ધર્મની બાબતમાં પણ થયું છે. આથી વર્તમાનમાં જેને સનાતન ધર્મ કહેવામાં આવે છે, તેનો અમુક અંશ તો સનાતન છે, પરંતુ તેમાં જે બીજો ઘણોબધો પાછળથી જોડી દેવામાં આવેલો હિસ્સો છે, એ મિલાવટ છે. આથી વર્તમાનમાં બૃહદ્ હિંદુ સમાજમાં પ્રચલિત બધી જ વાતોને સનાતન માની લેવી એ પણ યોગ્ય નથી. તેમાં હકીકતમાં કેટલું સનાતનત્વ છે, એ પરીક્ષણ કરવું જરૂરી છે. આથી જો આપણે સ્વયંને સનાતની અથવા સનાતન ધર્મના અનુયાયી કહેવડાવતા હોઈએ, તો આપણી સૌની એ પવિત્ર ફરજ બને છે કે આપણે વેદો તથા પુરાતન વૈદિક શાસ્ત્રોનો અર્થસહિત અભ્યાસ કરીએ, તેમાં પ્રતિપાદિત કરવામાં આવેલા સિદ્ધાંતોને સારી રીતે સમજીએ, તેના પર નિષ્ઠાપૂર્વક અમલ કરીએ, વેદોક્ત જ્ઞાનના પ્રકાશમાં આપણે પોતપોતાના સાંપ્રદાયિક આગ્રહો, આસ્થાઓ તથા માન્યતાઓ પર ઈમાનદારીથી પુનર્વિચાર કરીએ, અને આપણામાં જે કંઈ વેદ વિરુદ્ધ, પ્રમાણ વિરુદ્ધ, સૃષ્ટિક્રમ અથવા વિજ્ઞાન વિરુદ્ધ, નૈતિકતા વિરુદ્ધ, માનવતા વિરુદ્ધ જણાતું હોય, તેનો પરિત્યાગ કરવાનો દૃઢ નિશ્ચય કરીએ. તો જ આપનામાં ધાર્મિક ઐક્ય ઊભું થઈ શકશે. આ માટે નીચેનું સૂત્ર માર્ગદર્શક બની રહેશે :
*પ્રચલિત મત-પંથ-સંપ્રદાય = સત્ય સનાતન વૈદિક ધર્મ + (અંધવિશ્વાસો, પાખંડો, રૂઢિઓ, સંકીર્ણતાઓ, સાંપ્રદાયિક આસ્થાઓ, અવૈજ્ઞાનિક ચિંતન, જન્મ આધારિત જાતિવાદ, શોષણ, વગેરે)*
આપણા વિદ્વાનો, આચાર્યો, ગુરુઓ, બાપુઓ, મહંતો, સાધુ-સંન્યાસીઓ, ધર્મોપદેશકો વગેરે સૌએ સનાતન ધર્મનું વાસ્તવિક સ્વરૂપ જાણીને સર્વ જનતાને તેનાથી પરિચિત કરવાનો પુરુષાર્થ કરવાની જરૂર છે. જેને સદાથી સર્વ લોકો માનતા આવ્યા છે, આજે પણ માને છે, અને આગળ ઉપર પણ માનશે, તેનું નામ છે – સર્વતંત્ર સિદ્ધાંત એટલે કે સામ્રાજ્ય – સાર્વજનિક ધર્મ. તેને જ સનાતન – નિત્ય ધર્મ કહે છે કે જેનો વિરોધી કોઈ પણ ન હોઈ શકે. માટે આપણે પુનર્વિચાર કરવો રહ્યો કે આજે જેને સનાતન ધર્મ કહેવામાં આવે છે, એ વાસ્તવમાં સનાતન ધર્મ છે કે નહિ ? અને છે તો કેટલા અંશે સનાતન છે. કારણ કે સનાતન ધર્મ તો વૈદિક ધર્મનું જ બીજું નામ છે. વૈદિક ધર્મ જ વાસ્તવમાં માનવ ધર્મ, વિશ્વ ધર્મ, સાર્વભૌમ ધર્મ અથવા સનાતન ધર્મ છે. માટે આપણે નામશેષ થઈ જતાં આ સત્ય સનાતન વૈદિક ધર્મને પુનઃ પ્રતિષ્ઠિત અને ધબકતો કરવો બા જ પડશે. આ માટે સનાતન વૈદિકધર્મરૂપી ગંગાની શાશ્વત ધારામાં મધ્યયુગીન મતમતાંતરો – સંપ્રદાયો અને પેટા સંપ્રદાયો રૂપી કાળમીંઢ પથ્થરોએ જે અડચણો ઊભી કરી દીધી છે, તેના વિશે આપણે સૌએ ગંભીરતાથી અને ખુલ્લા મને વિચારવું પડશે. આ મતમતાંતરોને, સંપ્રદાયવાદને દૂર કરવા અને તેમને સત્ય સનાતન ધર્મમાં ભેળવીને વિલીન કરવા માટે આપણે સહિયારો પુરુષાર્થ કરવો પડશે. સનાતન ધર્મના નામે આપણામાં જે-જે મિથ્યા, અધાર્મિક, વેદવિરુદ્ધ વાતો પ્રવેશી ગઈ છે, તેનાથી આપણે મુક્ત થવું પડશે. ધર્મના નામે જે સંકીર્ણ વાડાઓ ઊભા કરવામાં આવ્યા છે, તેને સમાપ્ત કરીને સંપૂર્ણ હિંદુ સમાજને – અને એ જ રીતે આગળ વધીને સંપૂર્ણ માનવજાતિને – એક પરિવાર સમાન સમજીને, પરસ્પર એકબીજાના સહાયક બનીને આપણે જીવનના પરમ લક્ષ્ય સુધી પહોંચવાનું છે. જ્યારે આ મત-સંપ્રદાયોના શિલાખંડોને દૂર કરીને સત્ય સનાતન વૈદિક ધર્મની ધારાનો માર્ગ મોકળો કરીશું ત્યારે જ સનાતન ધર્મ-પ્રવાહ આગળ વધી શકશે, જે અખિલ વિશ્વનું કલ્યાણ સાધવા સર્વથા સમર્થ છે. *नान्य: पन्था विद्यते अयनाय* (યજુર્વેદ, અધ્યાય 31, મંત્ર 18) – આ સિવાય આપણી પાસે બીજો કોઈ માર્ગ પણ ક્યાં છે ?
*✍🏻 રમેશાનંદ સરસ્વતિ*
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*पूरी दुनिया को मुसलमान बनाने के लिए कितने संगठन कितने देशों में कार्य कर रहे हैं इसकी नीचे से जानकारी ले सकते हैं जबकि हिन्दुस्तान के हिन्दुओं को हिन्दू बने रहने के लिए केवल एक संगठन कार्य कर रहा और उसका इतना विरोध केवल हिन्दू ही कर रहे है*
*वास्तव में चिंतनीय है*
*मुसलमानो के आतंकी संगठन*
1) अल -शबाब (अफ्रीका),
2) अल मुराबितुंन (अफ्रीका),
3) अल -कायदा (अफगानिस्तान),
4) अल -क़ाएदा (इस्लामिक मघरेब),
5) अल -क़ाएदा (इंडियन सबकॉन्टिनेंट),
6) अल -क़ाएदा (अरेबियन पेनिनसुला),
7) हमास (पलेस्टाइन),
8) पलिस्तीनियन इस्लामिक जिहाद (पलेस्टाइन),
9) पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ़ (पलेस्टाइन),
10) हेज़बोल्ला (लेबनान),
11) अंसार अल -शरीया -बेनग़ाज़ी (लेबनान),
12) असबात अल -अंसार (लेबनान),
13) ISIS (इराक),
14) ISIS (सीरिया),
15) ISIS (कवकस)
16) ISIS (लीबिया)
17) ISIS (यमन)
18) ISIS (अल्जीरिया),
19) ISIS (फिलीपींस)
20) जुन्द अल -शाम (अफगानिस्तान),
21) मौराबितौं (लेबनान),
22) अलअब्दुल्लाह अज़्ज़म ब्रिगेड्स (लेबनान),
23) अल -इतिहाद अल -इस्लामिया (सोमालिया),
24) अल -हरमैन फाउंडेशन (सऊदी अरबिया),
25) अंसार -अल -शरीया (मोरोक्को),
26) मोरोक्को मुदजादिने (मोरक्को),
27) सलफीआ जिहदिआ (मोरक्को),
28) बोको हराम (अफ्रीका),
29) इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ (उज़्बेकिस्तान),
30) इस्लामिक जिहाद यूनियन (उज़्बेकिस्तान),
31) इस्लामिक जिहाद यूनियन (जर्मनी),
32) DRW True -रिलिजन (जर्मनी)
33) फजर नुसंतरा मूवमेंट (जर्मनी)
34) DIK हिल्देशियम (जर्मनी)
35) जैश -ए -मुहम्मद (कश्मीर),
36) जैश अल -मुहाजिरीन वल -अंसार (सीरिया),
37) पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ़ पलेस्टाइन (सीरिया),
38) जमात अल दावा अल क़ुरान (अफगानिस्तान),
39) जुंदल्लाह (ईरान)
40) क़ुद्स फाॅर्स (ईरान)
41) Kata’ib हेज़बोल्लाह (इराक),
42) अल -इतिहाद अल -इस्लामिया (सोमालिया),
43) Egyptian इस्लामिक जिहाद (Egypt),
44) जुन्द अल -शाम (जॉर्डन)
45) फजर नुसंतरा बहुत (ऑस्ट्रेला)
46) सोसाइटी ऑफ़ द रिवाइवल ऑफ़ इस्लामिक हेरिटेज (टेरर फंडिंग, वर्ल्डवाइड ऑफिसेस)
47) तालिबान (अफगानिस्तान),
48) तालिबान (पाकिस्तान),
49) तहरीक -i-तालिबान (पाकिस्तान),
50) आर्मी ऑफ़ इस्लाम (सीरिया),
51) इस्लामिक मूवमेंट (इजराइल)
52) अंसार अल शरीया (तुनिशिया),
53) मुजाहिदीन शूरा कौंसिल इन द एनवीरोंस ऑफ़ (जेरूसलम),
54) लिबयान इस्लामिक फाइटिंग ग्रुप (लीबिया),
55) मूवमेंट फॉर वेनेस्स एंड जिहाद इन (वेस्ट अफ्रीका),
56) पलिस्तीनियन इस्लामिक जिहाद (पलेस्टाइन)
57) तेव्हीद-सेलम (अल -क़ुद्स आर्मी)
58) मोरक्कन इस्लामिक कोंबटेंट ग्रुप (मोररोको),
59) काकेशस अमीरात (रूस),
60) दुख्तरान -ए -मिल्लत फेमिनिस्ट इस्लामिस्ट्स (इंडिया),
61) इंडियन मुजाहिदीन (इंडिया),
62) जमात -उल -मुजाहिदीन (इंडिया)
63) अंसार अल -इस्लाम (इंडिया)
64) स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ (इंडिया),
65) हरकत मुजाहिदीन (इंडिया),
66) हिज़्बुल मुझेडीन (इंडिया)
67) लश्कर ए इस्लाम (इंडिया)
68) जुन्द अल -खिलाफह (अल्जीरिया),
69) तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी ,
70) Egyptian इस्लामिक जिहाद (Egypt),
71) ग्रेट ईस्टर्न इस्लामिक रेडर्स’ फ्रंट (तुर्की),
72) हरकत -उल -जिहाद अल -इस्लामी (पाकिस्तान),
73) तहरीक -ए -नफ़ज़ -ए -शरीअत -ए -मोहम्मदी (पाकिस्तान),
74) लश्कर ए तोइबा (पाकिस्तान)
75) लश्कर ए झांगवी (पाकिस्तान)
76) अहले सुन्नत वल जमात (पाकिस्तान ),
77) जमात उल -एहरार (पाकिस्तान),
78) हरकत -उल -मुजाहिदीन (पाकिस्तान),
79) जमात उल -फुरकान (पाकिस्तान),
80) हरकत -उल -मुजाहिदीन (सीरिया),
81) अंसार अल -दिन फ्रंट (सीरिया),
82) जब्हत फ़तेह अल -शाम (सीरिया),
83) जमाह अन्शोरूट दौलाह (सीरिया),
84) नौर अल -दिन अल -ज़ेन्कि मूवमेंट (सीरिया),
85) लिवा अल -हक़्क़ (सीरिया),
86) अल -तौहीद ब्रिगेड (सीरिया),
87) जुन्द अल -अक़्सा (सीरिया),
88) अल-तौहीद ब्रिगेड(सीरिया),
89) यरमूक मार्टियर्स ब्रिगेड (सीरिया),
90) खालिद इब्न अल -वालिद आर्मी (सीरिया),
91) हिज़्ब -ए इस्लामी गुलबुद्दीन (अफगानिस्तान),
92) जमात -उल -एहरार (अफगानिस्तान)
93) हिज़्ब उत -तहरीर (वर्ल्डवाइड कलिफाते),
94) हिज़्बुल मुजाहिदीन (इंडिया),
95) अंसार अल्लाह (यमन),
96) हौली लैंड फाउंडेशन फॉर रिलीफ एंड डेवलपमेंट (USA),
97) जमात मुजाहिदीन (इंडिया),
98) जमाह अंशरूत तौहीद (इंडोनेशिया),
99) हिज़्बुत तहरीर (इंडोनेशिया),
100) फजर नुसंतरा मूवमेंट (इंडोनेशिया),
101) जेमाह इस्लामियाह (इंडोनेशिया),
102) जेमाह इस्लामियाह (फिलीपींस),
103) जेमाह इस्लामियाह (सिंगापुर),
104) जेमाह इस्लामियाह (थाईलैंड),
105) जेमाह इस्लामियाह (मलेशिया),
106) अंसार दीने (अफ्रीका),
107) ओस्बत अल -अंसार (पलेस्टाइन),
108) हिज़्ब उल -तहरीर (ग्रुप कनेक्टिंग इस्लामिक केलिफेट्स अक्रॉस द वर्ल्ड इनटू वन वर्ल्ड इस्लामिक केलिफेट्स)
109) आर्मी ऑफ़ द मेन ऑफ़ द नक्शबंदी आर्डर (इराक)
110) अल नुसरा फ्रंट (सीरिया),
111) अल -बदर (पाकिस्तान),
112) इस्लाम 4UK (UK),
113) अल घुरबा (UK),
114) कॉल टू सबमिशन (UK),
115) इस्लामिक पथ (UK),
116) लंदन स्कूल ऑफ़ शरीया (UK),
117) मुस्लिम्स अगेंस्ट क्रुसडेस (UK),
118) नीड 4Khilafah (UK),
119) द शरिया प्रोजेक्ट (UK),
120) द इस्लामिक दवाह एसोसिएशन (UK),
121) द सवियर सेक्ट (UK),
122) जमात उल -फुरकान (UK),
123) मिनबर अंसार दीन (UK),
124) अल -मुहाजिरों (UK) (Lee Rigby, लंदन 2017 मेंबर्स),
125) इस्लामिक कौंसिल ऑफ़ ब्रिटैन (UK) (नॉट टू बी कन्फ्यूज्ड विद ओफ़फिशिअल मुस्लिम कौंसिल ऑफ़ ब्रिटैन),
126) अहलुस सुन्नाह वल जमाह (UK),
128) अल -गामा’अ (Egypt),
129) अल -इस्लामियया (Egypt),
130) आर्म्ड इस्लामिक मेन ऑफ़ (अल्जीरिया),
131) सलाफिस्ट ग्रुप फॉर कॉल एंड कॉम्बैट (अल्जीरिया),
132) अन्सारु (अल्जीरिया),
133) अंसार -अल -शरीया (लीबिया),
134) अल इत्तिहाद अल इस्लामिआ (सोमालिया),
135) अंसार अल -शरीया (तुनिशिया),
136) शबब (अफ्रीका),
137) अल -अक़्सा फाउंडेशन (जर्मनी)
138) अल -अक़्सा मार्टियर्स’ ब्रिगेड्स (पलेस्टाइन),
139) अबू सय्याफ (फिलीपींस),
140) अदेन-अबयान इस्लामिक आर्मी (यमन),
141) अजनाद मिस्र (Egypt),
142) अबू निदाल आर्गेनाइजेशन (पलेस्टाइन),
143) जमाह अंशरूत तौहीद (इंडोनेशिया)
*अपने देश के कई नेता ये कहते है कि, कई लोग गलत तरीके से इस्लाम को बदनाम करते हैं। ये ऊपर लिखे सारे इस्लामिक संगठन तो शांति की स्थापना में लगे हुए है।*
*और विदेश की Media के हिसाब से बस केवल “आरएसएस” ही ऐसा संगठन है, जो पूरे विश्व में भगवा आतंकवाद फैलाता है।*
*ऐसी सोच का क्या मतलब है.? ये तो है मानसिक विकलांगता है ।*
*आपसे निवेदन है कि, आप इस पेज को ज्यादा से ज्यादा लोगों को भेजे और उन्हें सचाई से अवगत कराये।*
*🙏🚩भारत माता की जय 🚩🙏*
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यहां कोईभी समाचार,तस्वीर किसीसे भी व्यक्तिगत हानि पहुंचा ने प्रसिद्ध किया नही जाता,सिर्फ जन जागृति को मध्य नजर रक्त3 हुवे यहां प्रसिद्धि दी जाती है,फिर भी किसी को भी एतराज हो,तुरंत संपादक का संपर्क करके ऐसी पोस्ट निकाली जा सकती हे,संपादक : प्रदीप रावल(9824653073)
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*सांई बाबा की सच्चाई हिंदू देवता बनने का षडयंत्र साईँ भक्ति अर्थात लाश की उपासना !*
जिस दिन ज्योतिर्पीठ के शकराचार्य स्वरूपानन्द सरस्वती ने हिन्दुओं द्वारा शीरडी के फ़क़ीर ” साईँ बाबा ” की उपासना के बारे में आपत्ति उठाई है .तबसे मीडिया और साईं के भक्तों ने स्वरूपानंद के खिलाफ एक जिहाद सी छेड़ राखी है.. कुछ लोग साइन भक्ति को निजी और आस्था या श्रद्धा का मामला बता रहे हैं . लेकिन अधिकांश हिन्दुओं में साईँ बारे में कुछ ऐसे सवाल खड़े हो गए हैं , जिनका प्रामाणिक और शास्त्रानुसार उत्तर देना जरुरी हो गया है , कुछ प्रश्न इस प्रकार हैं , 1 क़्या साइ कोई हिन्दू संत था , जिसके लिए उसकी हिन्दू विधि से आरती और पूजा होती है. 2 . क्या साइ के आचरण और शिक्षाओं से हिन्दू समाज सशक्त हो रहा है ? क्या साईँ में दैवी शक्तियां थीं ? क्या साईं धूर्त मुस्लिम नहीं था ,जिसका उद्देश्य हिन्दू धर्म मजबूत नीव को खोखला करना था . और साईं भक्त धर्म के बहाने जो अधर्म कर रहे हैं वह वैदिक सनातन हिन्दू धर्म का अपमान नहीं माना जाये ?
हम इस लेख के माध्यम से प्रमाण सहित इन प्रश्नों के उत्तर दे रहे हैं ,ताकि हिन्दू अपने सनातन वैदिक धर्म पर आस्था बना रखें और किसी पाखंडी के जाल में फ़सने से बच सकें
*1-साईं एक धूर्त कट्टरपंथी मुसलमान*
*शीरडी के साईं के बारे में पहली प्रामाणिक किताब अंगरेजी में “डाक्टर मेरिअन वारेन – Dr. Marianne Warren Ph.D (University of Toronto, Canada “ने लिखी थी . जो सन 1947 में प्रकाशित हुई थी . और जिसके प्रकाशक का नाम ” Sterling Paperbacks; ISBN 81-207-2147-0. ” है .और इस किताब का नाम ” Unravelling The Enigma – Shirdi Sai Baba” है . जिसका अर्थ है साईं की पेचीदा पहेली का पर्दाफाश “वारेन ने अपनी किताब साईं के ख़ास सेवक अब्दुल द्वारा मराठी मिश्रित उर्दू में भाषा ( जिसे दक्खिनी उर्दू भी कहते हैं )एक नोट बुक के आधार पर लिखी है .लेकिन शिर्डी के साईं ट्रस्ट ने जानबूझ कर न तो मूल पुस्तक को प्रकाशित किआ और न ही भारत की किसी भाषा में अनुवाद करवाया . अब्दुल की हस्त लिखित किताब ( Manuscript ) में साइ केबारे में सन 1870 से 1889 तक की घटनाओं का विवरण है , सब साइ क्षद्म रूप से हिन्दू बन कर महाराष्ट्र के अहमद नगर जिले के शिरडी गाँव आया था . उस समय शिर्डी में सिर्फ 10 प्रतिशत मुसलमान थे . चूँकि हिन्दू मुसलमानों कोपसंद नहीं करते थे . इसलिए साईं ने अपने रहने के लिए एक मस्जिद को चुन लिया था . साईं ने हिन्दुओं को धोखा देने के लिए उसमस्जिद का नाम द्वारका माई रख दिया .साईं का सेवक अब्दुल साईं के अंतिम समय तक रहा . और उसने अपनी पुस्तक में साईं के बारे में कुछ ऐसी बातें लिखी हैं ,जो काफी चौंकाने वाली हैं ,जैसे साईं खुद को मुसलमान बताता था . और अब्दुल के सामने कुरान पढ़ा करता था ( पेज 261 ) . साईं इस्लाम के सूफी पंथ और इस्माइली पंथ से प्रभावित था (पेज 333 ) . साईं दूसरे धर्म की किताबों को बेकार बताता था ,और हमेशा अपने पास एक कुरान रखता था ( पेज 313 ) . यही नहीं साइ हिन्दू धर्म का सूफी करण करना चाहता था (पेज 272) . डाक्टर मेरियन वारेन ( Dr. Marianne Warren ) अब्दुल द्वारा साईं बारे में हस्तलिखित पुस्तक को पूरा पढ़ा था . और इस नतीजे पर पहुंचा कि साईं “एक छद्म दार्शनिक, छद्म आदर्शवादी छद्म नीतिज्ञ और धूर्त कट्टरपंथी था .(a pseudo-philosopher, pseudo-moralist and Findhorn fanatic).अर्थात साईं एक सूफी जिहादी था ,जिसका उद्देश्य हिन्दुओं में अपने प्राचीन सनातन धर्म के प्रति अनास्था और अरुचि पैदा करना था . ताकि जब मुसलमान बहुसंख्यक हो जाएँ तो ऐसे धर्म हिन्दुओं को आसानी से मुसलमान बनाया जा सके जिन्हें अपने धर्म से पूरी आस्था नहीं हो . क्योंकि जिस भवनकी नींव कमजोर हो जाती है ,उसे आसानी से गिराया जा सकता है .*
http://www.kevinrdshepherd.info/shirdi_sai_baba_and_sai_baba_movement.html
*मेरियन वारेन की पूरी किताब के लिए इस लिंक को खोलिए*
http://geraldjoemoreno.wordpress.com/2009/12/11/marianne-warren-unravelling-the-enigma-shirdi-sai-baba-in-the-light-of-sufism/
http://geraldjoemoreno.files.wordpress.com/2009/12/marianne-warren-critical-kevin-rd-shepherd.gif
*2-श्री साईं चरित्र*
इसके आलावा साईं बारे में एक पुस्तक उसके भक्त ” गोविन्द राव रघुनाथ दामोलकर ” ने मराठी में लिखी है ,जिसका नाम “साईँ सत चरित्र ” है . इसमे कुल 51 अध्याय हैं . इस किताब का अनुवाद कई भाषाओं में किया गया है . और ‘ श्री साईँ बाबा संस्थान शिरडी ” द्वारा इसका प्रकाशन किया गया है . यद्यपि इस् किताब में साईं की दैवी शक्तिओं और चमत्कारों की बातों की भरमार है ,फिरभी लेखक ने साईं केबारे में कुछ ऐसी बातें भी लिख दी हैं जो साईं का भंडा फोड़ने के लिए पर्याप्त हैं , उदहारण के लिए देखिये ,
*1 . जवानी में साईं पहलवानी करता था , और मोहिउद्दीन तम्बोली ने साईं को कुश्ती में पछाड़ दिया था . अध्याय 5*
*2 . साईं हर बात पर अल्लाह मालिक कहा करता था . अध्याय 5*
*3.साईं हिन्दुओं से कहता था कि प्राचीन वैदिक ग्रन्थ ,जैसे न्याय ,मीमांसा आदि अनुपयोगी हो गए हैं , इसलिए उन्हें पढ़ना बेकार है . अ -10*
*4.साईं कहता था कि यदि कोई कितना भी दुखी हो और वह जैसे ही मस्जिद में पैर रखेगा दुःख समाप्त हो जायेगा . अ -13*
*5.साइ तम्बाखू खाता था और बीड़ी पीता था . अ -14*
*6.बाबा ने एक बीमार और दुर्बल बकरे की कुर्बानी करवाई थी . अ -15*
*7.बाबा कहता था कि मैं अपनी मस्जिद से जो भी कहूँगा वही सत्य और प्रमाण समझो . अ -18 -19*
*8.बाबा कहता था कि योग औरप्राणायाम कठिन और बेकार हैं . अ 23*
*9.बाबा को किसी की बुरी नजर लग गयी थी , यानि वह अंध विश्वासी था . अ 28*
*10.बाबा अपनी मस्जिद से बर्तन मंगा कर उसमे गोश्त पकवाता था , और उस पर फातिहा पढ़ा कर प्रसाद के रूप में लोगों को बंटवा देता था . अ -38*
*11.बाबा दमे के कारण 72 घंटे तक खांस खांस कर तड़प कर मर गया था . अ -43 -44*
अब हमारे भोले भले साईं भक्त हिन्दू बताएं कि हम ऐसे व्यक्ति को संत , दैवी पुरष या अवतार कैसे मान सकते हैं ?
https://www.shrisaibabasansthan.org/shri%20saisatcharitra/Hindi%20SaiSatcharit%20PDF/hindi.html
*3-साईँ की समाधि नहीं कबर है*
साईँ दमे की बीमारी से पीड़ित था ,और उसी बीमारी से मंगलवार 15 अक्टूबर सन 1918 को मर गया था . उसकी लाश को बुट्टीवाङा में इस्लामी विधि से दफना दिया गया था . और आज के अज्ञानी साईं भक्त हिन्दू साईँ की कबर को समाधि कहते हैं , और उसकी पूजा आरती करते हैं . साइ की कबर की तस्वीर के लिए यह लिंक खोलिए ,
http://www.liveindia.com/sai/oro-saibaba.jpg
इस से स्पष्ट हो जाता है कि अज्ञानी हिन्दू साईं की समाधी की पूजा करके उसके अंदर की साईं की लाश की पूजा करते हैं ,
*4-साईं पूजा हिन्दू धर्म का अपमान*
शिर्डी के साईं बाबा जो इस समय हजारो मुर्ख हिन्दुओ द्वारा पूजे जा रहे है और ये आज के समय का सबसे बड़ा इस्लामिक षड्यंत्र बन चूका है जिसे कुछ मुस्लिम गायक और इस्लामिक संगठन हिन्दुओ का भगवान् बना कर जमकर प्रचारित कर रहे है साईं जो मूलतः एक मुसलमान है उसका भगवाकरण करके हिन्दुओ को मुर्ख बनाया जा रहा है और हिन्दू अपनी कुंठित बुद्धि और गुलाम मानसिकता के कारण इसे पहचानने की जगह उल्टा इसकी तरफ आकर्षित हो रहा है, यही नहीं इस यवनी(मुसलमान) की तुलना सनातनी इश्वरो जैसे राम कृष्ण या शिव से करके सनातन धर्म का मखोल उड़ाया जा रहा है, जबकि किसी ग्रन्थ या किसी महापुरुष द्वारा साईं जैसा कोई अवतार या महापुरुष होने की कोई भविष्यवाणी नहीं है, साईं सत्चरित्र के कुछ अध्यायों से भी यह प्रमाणित हो चुका है की साईं एक मुसलमान था और केवल अल्लाह मालिक करता था ऐसे में एक यवनी को सनातनी इश्वर का दर्जा देना न केवल पाखण्ड की पराकाष्ठा है बल्कि सनातन धर्म का घोर अपमान है
*5-हिन्दुओं का इस्लामीकरण*
अक्सर देखा गया है कि कुछ खास मौकों पर शिरडी में क़व्वालिओं का आयोजन किया जाता है ,जिसमे मुस्लिम कव्वाल अल्लाह ,रसूल की बड़े और तारीफ़ बखानते है , और हिन्दू भी बड़ी संख्या में सुनने को आते हैं , यह भी एक प्रकार इस्लाम का प्रचार ही है , जिसका उद्देश्य हिन्दुओं में इस्लाम के प्रति आस्था और हिन्दू धर्म से अरुचि पैदा करना है , जैसा की इस कव्वाली में कहा जारहा है ,
http://www.youtube.com/watch?v=yXk47DjmEQI
*6-साईँ गायत्री मन्त्र*
साईं कैसा था और उसका क्या उद्देश्य था , यह स्पष्ट हो गया , साईं तो मर गया है ,लेकिन उसके अंधे चेले साईं भक्ति के नशे में ऐसे चूर होगये कि वेद मन्त्र के साथ भी खिलवाड़ करने लगे , इन पापियों ने वैदिक गायत्री मन्त्र में हेराफेरी करके “साईं गायत्री मन्त्र ” बना डाला। जो की एक दंडनीय अपराध है . यह साईं के चेले अपनी खैर मनाएं कि हिन्दुओं में अल कायदा जैसा कोई कट्टर हिन्दू संगठन नहीं है , वरना सभी साईं के चेलों को मत के घाट उतार देते . हमें ख़ुशी हैकि अदालत में इस अपराध के लिए मुक़दमा दर्ज हो चूका है . फिर भी पाठकों की जानकारी के लिए साईं गायत्री यहाँ दी जा रही है ,
*”ॐ शीरडी वासाय विद्महे ,सच्चिदानन्दाय धीमहि तन्नो साई प्रचोदयात “*
इस साइ गायत्री को 48 बार पाठ करने के लिए कहा जाता है ,यह यू ट्यूब में भी मौजूद है , इस लिंक से आप इस साईँ गायत्री को सुन सकते हैं .
http://www.youtube.com/watch?v=CKQ3h4Bi1t0
*7-साईं भक्त हिन्दू जवाब दें*
जिन हिन्दुओं को खुद के हिन्दू होने पर गर्व है , और जो भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं ,और भगवद्गीता में उनके दिए गए वचनों को सत्य और प्रमाण मानते हैं . और जो वेद को ईश्वरीय आदेश समझते हैं , वह यहाँ गीता में दिए कृष्ण के वचन और वेद कर मात्र को पढ़ें ,और बताएं ,
*तमेव शरणं गच्छ सर्वभावेन भारत।*
*तत्प्रसादात्परां शान्तिं स्थानं प्राप्स्यसि शाश्वतम्॥18:62*
भावार्थ : हे भारत! तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की ही शरण में जा। उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति को तथा सनातन परमधाम को प्राप्त होगा॥
*”प्रेतान्भूतगणांश्चान्ये जयन्ते तामसा जनाः ॥ 17:4*
भावार्थ-तामसी गुणों से युक्त मनुष्य भूत-प्रेत आदि को पूजते हैं.
*”यः शास्त्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारतः ।*
*न स सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम् ॥ 16:23*
भावार्थ : जो मनुष्य कामनाओं के वश में होकर शास्त्रों की विधियों को त्याग कर अपने ही मन से उत्पन्न की गयीं विधियों से कर्म करता रहता है, वह मनुष्य न तो सिद्धि को प्राप्त कर पाता है, न सुख को प्राप्त कर पाता है और न परम-गति को ही प्राप्त हो पाता है।
(देवताओं को पूजने वालों का निरुपण)
*कामैस्तैस्तैर्हृतज्ञानाः प्रपद्यन्तेऽन्यदेवताः ।*
*तं तं नियममास्थाय प्रकृत्या नियताः स्वया ॥ 7:20*
भावार्थ : जिन मनुष्यों का ज्ञान सांसारिक कामनाओं के द्वारा नष्ट हो चुका है, वे लोग अपने-अपने स्वभाव के अनुसार पूर्व जन्मों के अर्जित संस्कारों के कारण प्रकृति के नियमों के वश में होकर अन्य देवी-देवताओं की शरण में जाते हैं।
*”अन्धं तमः प्रविशन्ति ये अविद्यामुपासते “यजुर्वेद 40 :9*
अर्थात -जो लोग अविद्या यानी पाखण्ड की उपासना करते हैं अज्ञान के अंधे कुएं में पड़ जाते हैं “
बताइये गीता में कहे गए भगवान कृष्ण के यह वचन और वेद का मन्त्र सभी झूठे हैं ?या साईं भगवान कृष्ण से भी बड़ा हो गया ? या साईं की फर्जी चमत्कार की कथाएं वेद मन्त्र से भी अधिक प्रामाणिक हो गयीं हैं ? यदि हिन्दू ऐसे ही होते हैं , तो उनको लाश पूजक (dead body worshippers) क्यों न कहा जाये ?