- “हरियाणा के मुख्यमंत्री का यह बयान की तनख्वाह व अन्य खर्चों के लिए पैसा नहीं 6200 करोड रुपए का कर्जा लेना पड़ेगा” बेहद ही शर्मनाक है। पहली बात तो बुरे वक्त में या किसी प्राकृतिक विपदा के समय एक बुद्धिमान व कुशल प्रशासक जनता का मनोबल नहीं तोड़ता मनोबल बढ़ाने का कार्य करता है। हरियाणा का एक जागरूक नागरिक होने के नाते क्या हमारा कर्तव्य नहीं बनता कि मुख्यमंत्री महोदय से यह प्रश्न करें –
1. 20 दिनों में प्रदेश की जनता के ऊपर ऐसा क्या खर्च कर दिया कि कर्जा लेने की नौबत आ गई ?
2. अगर 20 दिन में आमदनी में इतनी जबरदस्त गिरावट आई है तो इतनी ज्यादा आय कमाने वाले हरियाणा के पिछले 6 साल की जमा पूंजी कहां गई ?
3. 23 मार्च 2020 को प्रदेश के मंत्रियों का मकान किराया भत्ता ₹50000 से बढ़ाकर ₹100000 प्रतिमाह कर दिया गया आखिर वह पैसा कहां से आया ?
4. 60 % कर्मचारियों को मार्च महीने का वेतन मिला ही नहीं है सरकार व प्रदेश की फरवरी महीने की कमाई कहां गई ?
5. एक विपदा के समय प्रदेश की जनता का मनोबल बढ़ाया जाना चाहिए या गिराना उचित है ?
6. एक ऐसे समय में जब प्रदेश का सरकारी कर्मचारी अपने तन-मन-धन से प्रदेश की जनता की सेवा में जुटा हुआ है उसकी तनख्वाह का पैसा ना होने व मनोबल गिराने की बात कितनी हितकारी होगी ?
7. किसान से उसकी फसल को दान में देने की अपील करने वाला एकमात्र राज्य बना हरियाणा जबकि बाकी राज्य और विभिन्न देश किसान के लिए विशेष सहायता जारी कर रहे हैं
8. किसान की फसल तीन महीने लेट लेने पर भी कोई बोनस की घोषणा नहीं की है
छह साल प्रदेश की कमान संभालने के बाद “नंबर वन हरियाणा” अगर आज कर्ज़ का कटोरा उठाकर भीख मांगने की स्थिति में है तो नैतिकता दिखाओ मुख्यमंत्री जी